
नई दिल्ली,एनएसआई मीडिया। भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 फीसदी पर रह सकती है. इसके साथ ही मानसून सीजन भी नॉर्मल रह सकता है, जिसके कारण कमोडिटी की कीमतों में नरमी रहने की उम्मीद है । क्रिसिल (CRISIL) की रिपोर्ट में सोमवार को कहा गया कि प्राइवेट कंजम्पशन में सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि, इन्वेस्टमेंट ग्रोथ प्राइवेट कैपेक्स पर निर्भर करेगी ।
रिपोर्ट में कहा गया कि एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन में सुधार और फूड इन्फ्लेशन में कमी की उम्मीद के कारण प्राइवेट कंजम्पशन में और सुधार की उम्मीद है. फूड इन्फ्लेशन में नरमी से घरेलू बजट में डिस्क्रेशनेरी खर्च के लिए जगह बनेगी. रिपोर्ट में आगे बताया गया कि केंद्रीय बजट 2025-26 में इनकम टैक्स में बढ़ाई गई छूट से खपत को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा आरबीआई द्वारा मॉनेटरी पॉलिसी में ढील देने से भी खपत को बढ़ावा मिलेगा।
क्रिसिल को उम्मीद है कि आरबीआई वित्त वर्ष 2025-26 में रेपो रेट में 50-75 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर सकता है. ऑफिशियल डेटा का हवाला देते हुए क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष की जीडीपी ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी से कम है. हालांकि, ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2011 और 2020 के बीच महामारी से पहले के दशक के औसत 6.6 फीसदी के करीब बनी हुई है और इससे भारत को सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था का अपना टैग बरकरार रखने में मदद मिलेगी।
चौथी तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट बढ़कर 7.6 फीसदी होने की उम्मीद है, जिससे चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी हो जाएगी. चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़कर 6.2 फीसदी हो गई है, जो दूसरी तिमाही की जीडीपी ग्रोथ रेट 5.6 फीसदी से ज्यादा है।