
चेन्नई,एनएसआई मीडिया । पीएम मोदी इस समय तमिलनाडु के दौरे पर हैं। जहां तूतीकोरिन में उन्होंने 4800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इसके बाद आज वे त्रिची में होटल से एयरपोर्ट तक रोड शो में हिस्सा लेंगे और फिर हेलिकॉप्टर से अरियालुर जाएंगे। अरियालुर में वह गंगईकोंडा चोलपुरम में आदि तिरुवथिरई उत्सव के समापन समारोह में भाग लेंगे।
पीएम की यात्रा को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई है। एयरपोर्ट परिसर और आसपास के क्षेत्र को पांच स्तरीय सुरक्षा घेरा प्रदान किया गया है। त्रिची शहर में ड्रोन और अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स (यूएवी) के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
गौरतलब है कि राजा राजेन्द्र चोल प्रथम की जयंती के अवसर पर, दक्षिण-पूर्व एशिया में उनके ऐतिहासिक समुद्री अभियान के 1000 वर्ष पूरे होने और गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर के निर्माण के आरंभ होने के उपलक्ष्य में आदि तिरुवथिरई उत्सव मनाया जा रहा है। इस भव्य सांस्कृतिक महोत्सव में थेरुकुथु, थप्पट्टम, करगम, कावड़ी जैसे लोकनृत्य, भरतनाट्यम और नाट्यकला की प्रस्तुति होगी। इस समारोह के समापन कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्री और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे। यह उत्सव तमिल कला, संस्कृति और इतिहास का गौरवशाली संगम है।
गंगईकोंडा चोलपुरम विकास परिषद ट्रस्ट के अध्यक्ष आर. कोमागन ने बताया कि अपने दौरे के दौरान पीएम मोदी राजा राजेंद्र चोल के सम्मान में एक स्मारक सिक्का जारी करेंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर के पुजारियों को वाराणसी से लाया गया गंगा नदी के जल का एक घड़ा भी सौंपेंगे। तमिलनाडु के विभिन्न शैव मठों के प्रमुख भी इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले हैं। लगभग 30 शैव मठ प्रमुख और साधु इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। वहीं, 44 ओडुवरों का एक समूह तिरुवसागम के भजनों का पाठ करेगा।
इस बारे में संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि इस मौके पर कलाक्षेत्र फाउंडेशन द्वारा एक विशेष भरतनाट्यम समूह गायन प्रस्तुत करेगा। इसके बाद पारंपरिक ओथुवरों द्वारा देवराम थिरुमुराई का गायन होगा। वहीं, साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित देवराम भजनों पर एक पुस्तिका का औपचारिक विमोचन भी किया जाएगा। महोत्सव का समापन महान उस्ताद पद्म विभूषण इलैयाराजा और उनकी मंडली द्वारा एक संगीतमय प्रस्तुति के साथ होगा।
गौरतलब है कि राजेंद्र चोल प्रथम के नेतृत्व में चोल साम्राज्य ने दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने लगभग 1,000 वर्ष पूर्व गंगा के मैदानों में अपने विजयी अभियान के बाद, बृहदीश्वर मंदिर और चोलगंगम नामक विशाल झील के साथ गंगईकोंडा चोलपुरम का निर्माण कराया था।