श्रीनगर के नौगाम पुलिस स्टेशन में विस्फोट से 9 मौतें, राजौरी में आईईडी नष्ट

श्रीनगर/जम्मू, 15 नवंबर। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार रात हुए भयानक विस्फोट ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि 29 अन्य घायल हो गए।

विस्फोट के ठीक एक दिन बाद, रविवार को राजौरी जिले में सुरक्षाबलों ने एक सुधारित विस्फोटक युक्ति (आईईडी) बरामद कर नियंत्रित विस्फोट से उसे नष्ट कर दिया। यह घटना सुरक्षा एजेंसियों के लिए राहत की साबित हुई, लेकिन नौगाम हादसे ने विस्फोटक सामग्री संभालने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

नौगाम पुलिस स्टेशन विस्फोट- शुक्रवार रात करीब 11:22 बजे नौगाम पुलिस स्टेशन के परिसर में जबरदस्त धमाका हुआ। विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि इसकी आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी।
पुलिस स्टेशन की इमारत मलबे में तब्दील हो गई, आसपास के भवनों की खिड़कियां टूट गईं और कम से कम 10 वाहनों में आग लग गई। मलबा हटाने के कार्य में अभी भी चुनौतियां बरकरार हैं।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, यह विस्फोट आकस्मिक था और किसी आतंकी साजिश से जुड़ा नहीं। धमाका तब हुआ जब फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम, पुलिस अधिकारी और अन्य कर्मचारी जब्त विस्फोटक सामग्री के नमूने निकाल रहे थे।

बरामद सामग्री में करीब 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर जैसे रसायन शामिल थे, जो हाल ही में फरीदाबाद (हरियाणा) से एक 'व्हाइट-कॉलर' टेरर मॉड्यूल के संदिग्धों से जब्त किए गए थे।मृतकों में ज्यादातर जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान, एफएसएल के तीन अधिकारी, स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के एक अधिकारी, क्राइम विंग के दो सदस्य, दो राजस्व अधिकारी (जिनमें एक नायब तहसीलदार शामिल) और एक दर्जी शामिल हैं।

घायलों में 27 पुलिसकर्मी और दो राजस्व अधिकारी प्रमुख हैं, जिनका इलाज श्रीनगर के 92 आर्मी बेस हॉस्पिटल और एसकेआईएमएस सौरा में चल रहा है। छह घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिससे मौतों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है।
टेरर मॉड्यूल कनेक्शन- फरीदाबाद से बरामद विस्फोटकयह विस्फोट जम्मू-कश्मीर पुलिस की एफआईआर नंबर 162/2025 से जुड़े जांच के दौरान हुआ। 9 और 10 नवंबर को फरीदाबाद से 2,900 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक रसायन जब्त किए गए थे।
ये सामग्री जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के एक मॉड्यूल से जुड़ी थी, जिसमें शिक्षित पेशेवर जैसे डॉक्टर शामिल थे। गिरफ्तार संदिग्धों में डॉ. मुजम्मिल गनई, शाहीन सईद और अन्य शामिल हैं, जिनके पास से अमोनियम नाइट्रेट सहित बड़े पैमाने पर सामग्री बरामद हुई। 19 अक्टूबर को नौगाम क्षेत्र में जेईएम के प्रचार पोस्टर मिलने के बाद यह जांच तेज हुई थी।

प्रारंभिक जांच में दो मुख्य एंगल उभरे हैं- पहला, विस्फोटक को सील करने या हैंडल करने में मानवीय चूक, दूसरा, किसी पूर्व-मिश्रित विस्फोटक या डेटोनेटर की मौजूदगी। हालांकि, गृह मंत्रालय और जेकेए पुलिस ने आतंकी कोण को खारिज कर दिया है।

जेकेए डीजीपी नलिन प्रभात ने इसे 'आकस्मिक' बताया और कहा कि अनावश्यक अटकलें बेकार हैं। फॉरेंसिक टीम एसओपी के तहत जांच कर रही है।
राजौरी में आईईडी निष्क्रिय- सुरक्षा अभियान में सफलतानौगाम हादसे के ठीक एक दिन बाद, 15 नवंबर को राजौरी जिले में सुरक्षाबलों ने एक सक्रिय आईईडी बरामद की।
यह आईईडी संभवतः आतंकी तत्वों द्वारा छिपाई गई थी। सेना, सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने इसे सुरक्षित स्थान पर ले जाकर नियंत्रित विस्फोट से नष्ट कर दिया।

इस ऑपरेशन में कोई हताहत नहीं हुआ। एएनआई के अनुसार, यह घटना जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियों के बीच सुरक्षा बलों की सतर्कता को दर्शाती है।राजौरी-पुंछ क्षेत्र में हाल के महीनों में आईईडी हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें फरवरी 2025 में अखनूर में एक आईईडी विस्फोट शामिल है।
पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ), जो जेईएम का प्रॉक्सी है, ने कई हमलों की जिम्मेदारी ली है। इस आईईडी निष्क्रिय करने से इलाके में राहत मिली है।
प्रतिक्रियाएं और आगे की कार्रवाई-जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को उजाला सिग्नस अस्पताल का दौरा कर घायलों से मुलाकात की और शोक संतप्त परिवारों को सांत्वना दी।

जेकेए नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "यह हमारी गलती है। विस्फोटक संभालने वालों से पहले परामर्श करना चाहिए था।" कांग्रेस ने भी शोक व्यक्त किया।
सुरक्षा एजेंसियां पूरे जम्मू-कश्मीर में हाई अलर्ट पर हैं। राजमार्गों और सड़कों पर चेकिंग बढ़ा दी गई है। नौगाम स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज की जांच चल रही है, और विस्फोटक भंडारण की नई गाइडलाइंस पर विचार हो रहा है।

यह घटना 2017 में नौगाम स्टेशन पर ग्रेनेड विस्फोट की याद दिलाती है, जब एक सबूत गोदाम में हादसा हुआ था।यह हादसा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई की जटिलताओं को उजागर करता है, जहां जब्त सामग्री खुद खतरा बन सकती है। जांच पूरी होने पर और विवरण सामने आ सकते हैं।

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