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राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित कोलायत धाम, जो प्राचीन काल में 'कपिलायतन' के नाम से जाना जाता था, एक बार फिर आस्था के रंग में रंगने को तैयार है। महर्षि कपिल मुनि की जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाला कोलायत मेला 2025, जो 5 नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा) को चरम पर होगा, लाखों श्रद्धालुओं को आमंत्रित कर रहा है। यह मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि राजस्थानी संस्कृति, लोक कला का अनुपम मेल भी प्रस्तुत करता है।
महर्षि कपिल मुनि:
दर्शन के प्रणेता और तपस्वी संतमहर्षि कपिल मुनि भारतीय दर्शन के छह प्रमुख दर्शनों में से सबसे प्राचीन 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक माने जाते हैं। वे भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजे जाते हैं, जिन्होंने मानव कल्याण के लिए गहन तपस्या की। पुराणों के अनुसार, कपिल मुनि ने अपनी माता देवहूति की मुक्ति के लिए कोलायत सरोवर का निर्माण किया, जहां उन्होंने पीपल वृक्ष के नीचे समाधि धारण की। सांख्य दर्शन में उन्होंने प्रकृति और पुरुष (आत्मा) के द्वैत सिद्धांत को प्रतिपादित किया, जो योग और वेदांत का आधार बना। कपिल मुनि की जयंती कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 5 नवंबर को पड़ रही है।
यह तिथि आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है, जहां श्रद्धालु पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना करते हैं। कोलायत में उनकी संगमरमर प्रतिमा स्थापित मंदिर कपिल मुनि घाट पर स्थित है, जो मेले का केंद्र बिंदु होता है।
कोलायत मेला 2025:
पांच दिवसीय उत्सव का आयोजनकोलायत मेला प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष के अंतिम दिनों में, एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों तक आयोजित होता है। 2025 में यह 1 नवंबर (एकादशी) से प्रारंभ होकर 5 नवंबर (पूर्णिमा) को समापन पर पहुंचेगा। मुख्य दिन 5 नवंबर को शाही स्नान और महाआरती होगी, जो शाम 7 बजे शुरू होगी। मेले का शुभारंभ धर्मध्वजा रोहण से होता है, जिसमें साधु-संतों द्वारा शंख, घंटी और कीर्तन के साथ जयकारे लगाए जाते हैं।

इस वर्ष, कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी मेले को ऐतिहासिक बनाने में जुटे है। वे विगत 15 दिनों से मेले की तैयारियों को मोनेटरिंग कर रहे है। साथ ही बीकानेर जिला प्रशासन ने पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन, पंचायत समिति श्री कोलायत के सहयोग कई सुविधाएं जोड़ी गई हैं।
मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष बस सेवाएं और अस्थायी आवास व्यवस्था की गई है। धार्मिक अनुष्ठान: स्नान, आरती और प्रवचनमेले का मुख्य आकर्षण कपिल सरोवर में पवित्र स्नान है।हर वर्ष त्रयोदशी तिथि (3 नवंबर) को कपिल मुनि और दत्तात्रेय भगवान की नगर परिक्रमा निकलती है, जिसमें रथ और पालकी पर सवार मूर्तियों का डीजे-ढोल के साथ भ्रमण होता है।
सांस्कृतिक आयोजन: राजस्थानी लोक कला का प्रदर्शनमेला धार्मिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक उत्सव का रूप धारण करता है। राजस्व तहसील प्रांगण में सांस्कृतिक मंच पर राजस्थानी लोक नृत्य जैसे घूमर, कालबेलिया, भवई, चरी, घुटना चकरी, मयूर नृत्य, फूलों की होली और चरकुला लोक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। मेले में हस्तशिल्प स्टॉल्स पर लेहरीया, बंधेज और थप्पड़ प्रिंट की साड़ियां, जूतियां व आभूषण बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे।
ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व
कोलायत थार मरुस्थल के बीच स्थित एक हरा-भरा तीर्थ है,जो बीकानेर शहर से 50 किमी दूर है।पुराणों में इसका उल्लेख 'कपिल सरोवर' के रूप में है,जहां कपिल मुनि ने तपस्या की।सिख धर्म में भी यह पवित्र है, क्योंकि गुरु नानक देव जी यहां आए थे। मेले से पर्यटन को बल मिलता है,जो स्थानीय रोजगार सृजित करता है।
-पीयूष पुरोहित,बीकानेर