
शिक्षाविद प्रो. अशोक आचार्य की स्मृति में व्याख्यान बोले गहलोत
संविधान के मूलअधिकार हो या नीति निर्देशक अधिकार सब में गांधी के मूल्यों का समावेश-डॉ. नंदकिशोर आचार्य
गांधी मानवता, नैतिकता,सामाजिक न्याय के प्रतिनिधि थे- प्रशांत किशोर
बीकानेर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपूर्ण जीवन सत्य, अहिंसा, समानता, और स्वराज की साधना रहा और यही मूल्य हमारे संविधान की आत्मा हैं। जब हमारा संविधान निर्मित हो रहा था, तब डॉ. भीमराव अंबेडकर, पंडित नेहरू, राजेंद्र प्रसाद जैसे राष्ट्र निर्माताओं ने गांधी के विचारों को न केवल श्रद्धा से सुना, बल्कि उन्हें संविधान की रूपरेखा में आत्मसात भी किया। गांधीजी का ‘रामराज्य’ किसी धार्मिक राज्य की परिकल्पना नहीं थी। बल्कि एक ऐसा भारत था, जहां हर व्यक्ति समान हो, उसे न्याय मिले, उसकी गरिमा अक्षुण्ण रहे। यही दृष्टिकोण आज हमारे संविधान के मूल अधिकारों में परिलक्षित होता है।
रूक्टा के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रो. अशोक आचार्य की स्मृति में बुधवार को धरणीधर रंगमंच पर व्याख्यान कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ये उदगार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का व्यक्तित्व एवं कृतृत्व भारतीय संविधान में उल्लेखित प्रावधानों में परिलिक्षीत होता है। गांधी के जीवन मूल्यों एवं विचारों को आत्मसात कर हमारे संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान का निर्माण किया। हमारे संविधान में उल्लेखित मूल अधिकार हो अथवा नीति निर्देशक तत्व हो इन सब में गांधी के मूल्यों का समावेश किया गया है। गांधी जी हमेशा सर्वधर्म सभाव, समानता, अस्पर्शता आदि की बात करते थे। यह आज भारतीय संविधान की आत्मा है।

विशिष्ट अतिथि गांधी पीस फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन किसी एक विचारधारा तक सीमित नहीं रहा। वे केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, वे मानवता, नैतिकता और सामाजिक न्याय के प्रतिनिधि थे। अधिवक्ता शंकरलाल हर्ष ने प्रोफेसर अशोक आचार्य के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। आयोजन सचिव संजय आचार्य ने स्वागत उद्बोधन दिया।
अध्यक्षता कर रहे डॉ. बीडी कल्ला ने कहां की गांधी का ‘सत्याग्रह’ आज लोकतांत्रिक विरोध और शांतिपूर्ण आंदोलन के अधिकार के रूप में देखा जा सकता है। गांधी का ग्राम स्वराज का सपना आज स्थानीय स्वशासन के रूप में जीवित है।
सत्याग्रह आज अधिकार
कार्यक्रम में डॉ. विठ्ठल बिस्सा ने संविधान के अनुच्छेद 19 में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता का अंत और मौलिक अधिकारों की पूरी व्यवस्था का संविधान में समावेश गांधी की प्रेरणा से ही जोड़ा गया।
कार्यक्रम में मकसूद अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। व्याख्यान कार्यक्रम में कांग्रेस नेता गोविंदराम मेघवाल, भंवरसिंह भाटी, विधायक सुशीला डूडी, यशपाल गहलोत, लोक अदालत के न्यायाधीश महेश शर्मा,अरविन्द मिढ्ढा,पार्षद आनंद सिंह सोढा आदि मौजूद रहे।परिलक्षित होता है।
नारेबाजी करने वालों को रोका –कार्यक्रम में गहलोत जिंदाबाद के नारे लगा रहे लोगों को गहलोत ने रोका और कहा ये राजनैतिक कार्यक्रम नहीं है। आप चाहिए।