

राजस्थान के सपनों, संघर्ष और समृद्धि की कहानी है गंगनहर -अर्जुन राम मेघवाल
बीकानेर, 19 जुलाई। राजस्थान की मरूभूमि में हरियाली का सपना साकार करने वाली, रेगिस्तान को जीवनदायिनी गंगनहर अपने 100 गौरवशाली वर्षों की स्वर्णिम यात्रा पूरी कर रही है। इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाने के लिए शनिवार को एक महत्वपूर्ण ऑनलाइन बैठक आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने की।
बैठक में मंत्री श्री मेघवाल ने नहर की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा -“गंग नहर केवल जल का स्रोत नहीं, यह राजस्थान के सपनों, संघर्ष और समृद्धि की सदीभर की कहानी है। इसने बंजर को उपजाऊ बनाया, प्यासे को पानी दिया और मरुस्थल में विकास की नई धारा प्रवाहित की।”
उन्होंने विशेष रूप से नहर के संस्थापक दूरदर्शी महाराजा गंगा सिंह जी को नमन करते हुए कहा कि उनकी अद्वितीय दृष्टि और जनकल्याण की भावना ने इस मरुस्थल में हरियाली का बीज बोया। इसी के साथ उन्होंने गंगनहर के शिल्पकार और महान अभियंता कंवरसेन जी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके अथक परिश्रम और तकनीकी कौशल ने इस स्वप्न को साकार कर दिखाया।
बैठक में अतिरिक्त सचिव एवं मुख्य अभियंता (पश्चिम) जल संसाधन विभाग श्री अमरजीत सिंह मेहरड़ा, मुख्य अभियंता हनुमानगढ़ नॉर्थ श्री प्रदीप रुस्तगी, मुख्य अभियंता इंदिरा गांधी नहर परियोजना बीकानेर श्री राकेश कुमार, अतिरिक्त मुख्य अभियंता आईजीएनपी बीकानेर श्री विवेक गोयल तथा अधीक्षण अभियंता गंग नहर श्री धीरज चावला ने सहभागिता करते हुए रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत किए।
अधिकारियों ने इस अवसर को जनभावनाओं से जोड़ने के लिए ऐतिहासिक प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कृषक संवाद एवं स्मृति ग्रंथ प्रकाशन जैसे विविध प्रस्ताव दिए।
मंत्री श्री मेघवाल ने इस उत्सव को प्रदेश के गौरव और विकास की गाथा के रूप में मनाने का आह्वान करते हुए कहा कि यह महोत्सव केवल अतीत का स्मरण नहीं होगा, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा और नई ऊर्जा का स्रोत भी बनेगा।
गंगनहर की शुरुआत:
- प्रेरणा और योजना: 19वीं सदी के अंत में, महारaja गंगा सिंह ने ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर गंगा नदी के पानी को राजस्थान तक लाने की योजना बनाई। उनका उद्देश्य था बीकानेर और पड़ोसी क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा प्रदान करना।
- निर्माण की शुरुआत: गंगनहर परियोजना की आधारशिला 1921 में रखी गई। इसका निर्माण ब्रिटिश इंजीनियरों और स्थानीय मजदूरों के सहयोग से हुआ। नहर का उद्घाटन 26 अक्टूबर 1927 को हुआ, जब महाराजा गंगा सिंह ने इसे औपचारिक रूप से शुरू किया।
- निर्माण की चुनौतियां: नहर का निर्माण अत्यंत चुनौतीपूर्ण था। रेगिस्तानी इलाकों में गहरी खुदाई, रेत के टीलों से निपटना और सीमित तकनीकी संसाधनों के बीच काम करना एक बड़ा संघर्ष था। हजारों मजदूरों ने कठिन परिस्थितियों में दिन-रात मेहनत की।
तकनीकी विवरण:
- गंगनहर की शुरुआत पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुसैनीवाला के पास सतलुज नदी से होती है, जहां से यह पानी खींचती है।
- इसकी कुल लंबाई लगभग 1,200 किलोमीटर (मुख्य नहर और शाखाओं सहित) है, जो राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और कुछ हद तक बीकानेर व चुरू तक फैली है।
- यह नहर सतलुज और गंगा नदी प्रणाली को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण परियोजना थी, जिसे ब्रिटिश इंजीनियरिंग का एक नमूना माना जाता है।
प्रभाव और महत्व:
- कृषि क्रांति: गंगनहर ने श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ को राजस्थान का “अन्न भंडार” बना दिया। गेहूं, कपास, चावल और सरसों जैसी फसलों ने क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बदल दिया।
- आर्थिक समृद्धि: नहर के कारण न केवल खेती, बल्कि व्यापार और उद्योग भी फले-फूले। श्रीगंगानगर आज भारत के सबसे समृद्ध कृषि क्षेत्रों में से एक है।
- सामाजिक बदलाव: नहर ने प्रवास को बढ़ावा दिया। पंजाब और हरियाणा से लोग इन क्षेत्रों में बसे, जिससे एक मिश्रित संस्कृति का विकास हुआ।